मुल्ला देखा पंडित देखा, मस्जिद देखी मंदिर देखा. खाली पड़े मकान को देखा, गिरते तेरे ईमान को देखा, वक़्त की पड़ती मार को देखा, घायल तेरी चाल को देखा, रंग बदलते प्यार को देखा, हँसते सब बाज़ार को देखा. चमकीले सपनो को देखा, फिर खुदकी … Continue reading apna Jumla.
